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पनघट चुप खड़े रहे / कुमार रवींद्र

पानी में आग लगी
     पनघट चुप खड़े रहे
              बालू में गड़े रहे
 
लपटों में घूम-घूम
मछली के पाँव जले
झुलसी चट्टानों को
राख मिली नाव-तले
 
अँधियारी घाटी में
     सीपी-दिन पड़े रहे
              बालू में गड़े रहे
 
बगुलों की टोली ने
सारे जल नाप लिये
धुंध-घिरी लहरों को
पंखों से ढाँप लिये
 
मूँगे के टापू पर
      लंगर बन अड़े रहे
             बालू में गड़े रहे