Last modified on 10 दिसम्बर 2008, at 01:14

पप्पियों की पीढ़ियाँ / संजय चतुर्वेदी

वे आए
अपने इतिहास को अपनी ज़मीन पर छोड़कर
कहीं कोई कमरा किराए पर ले
धीरे-धीरे उन्होंने जीत लिए शहर
उनके बच्चों ने
पेट में ही सीख लिया शहर जीतना
और तोड़ डालीं
मिली थीं अग़र कुछ मूर्तियाँ उन्हें गर्भ में।