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पयान / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

ई दुनियाँ केॅ देखोॅ खेलां
संग न जाबै एको धेलां
तेल, फुलेल, हिमानी, कंघी
तन भेलै मांटी रोॅ ढेला।

गुरु छै कोये, कोय रे चेला
नाता-रिस्ता मेले-मेला
चलती घड़ी कोय न अपना
संग छोड़िके जाय अकेला।