Last modified on 12 फ़रवरी 2021, at 00:32

परदेस / दीप नारायण

ई दागक कपड़ा
काँचे बाँसक रंथी

ई कोहा,कौड़ी
कुश-तील,गंगौट
गोइठाक आँगि
अचिया

ई छौड़झप्पी
नह-केस
श्राद्ध,सम्पिंडन

ई सभटा रीत
एहि दुनियाँक छै
मीत!

लोक ओना मरि त' तखने जाइये
घर छोड़ि जखन
जाइये परदेस।