Last modified on 19 अक्टूबर 2013, at 07:27

परमाद ! / कन्हैया लाल सेठिया

देख‘र सामनै
दरड़ो
कर लियो बै‘तो पाणी
मन मीठो
चल्यो चाळ स्यूं फेर
ले‘र बिसांई आगै
पण फिरग्यो अथारो
बणग्यो कादो
फैलगी चौफेर
दुरगिन्ध !