घर में
बाजी नीं थाळी
मरद बांको हो
मोटो मान
राख ध्यान
डागधर हाथ
नीं दी आप री नाड़
दूजी परणीज्यो
हुई बा री बा
ठाकुर जी नीं करी स्या
घर रो मान
आज भी है,
उंची है स्यान
पै’ली
अेक निपूती ही
आज दो है
मरत तो मरद है
बस ओई दरद है
बेल फळै नीं
परमेसर रा लेख
अब टळै नीं।