मैं आया था अपनी दुनिया से
तुम भी अपनी दुनिया से निकल पड़ी थीं
कोई इरादा न था
न कोई वादा था
बस, मुलाक़ात हुई ।
हमें पता था
यह दरमियानी है
हमें जाना है
अपनी-अपनी दुनिया में
या कहीं और
जहाँ हम नहीं होंगे
एक दूसरे के लिए ।
सिर्फ़ रह गया
हमारी याद में
एक असम्वैधानिक चुम्बन !