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परिभाषा की कविता / मंगलेश डबराल

परिभाषा का अर्थ है चीज़ों के अनावश्यक विस्तार में न जाकर उन्हें
एक या दो पंक्तियों में सीमित कर देना. परिभाषाओं के कारण ही
यह संभव हुआ कि हम हाथी जैसे जानवर या ग़रीबी जैसी बड़ी घटना
को दिमाग़ के छोटे-छोटे ख़ानों में हूबहू रख सकते हैं. स्कूली बच्चे
इसी कारण दुनिया के समुद्रों को पहचानते हैं और रसायनिक यौगिकों
के लंबे-लंबे नाम पूछने पर तुरंत बता देते हैं.

परिभाषाओं की एक विशेषता यह है कि वे परिभाषित की जाने वाली
चीज़ों से पहले ही बन गयी थीं. अत्याचार से पहले अत्याचार की
परिभाषा आयी. भूख से पहले भूख की परिभाषा जन्म ले चुकी थी.
कुछ लोगॊं ने जब भीख देने के बारे में तय किया तो उसके बाद
भिखारी प्रकट हुए.

परिभाषाएँ एक विकल्प की तरह हमारे पास रहती हैं और जीवन को
आसान बनाती चलती हैं. मसलन मनुष्य या बादल की परिभाषाएँ
याद हों तो मनुष्य को देखने की बहुत ज़रूरत नहीं रहती और आसमान
की ओर आँख उठाये बिना काम चल जाता है. संकट और पतन की
परिभाषाएँ भी इसीलिए बनायी गयीं.

जब हम किसी विपत्ति का वर्णन करते हैं या यह बतलाना चाहते हैं
कि चीज़ें किस हालत में हैं तो कहा जाता है कि शब्दों का अपव्यय
है. एक आदमी छड़ी से मेज़ बजाकर कहता है : बंद करो यह पुराण
बताओ परिभाषा.

(रचनाकाल : 1990)