उम्मीद और
नाउम्मीद के बीच
जो कुछ भी था
धंस गया
संशय के दलदल में
विष्वास की
नन्हीं गौरया को
लील गया कुछ ३
अपरिवर्तित है दिनचर्या
फिर भी
सब कुछ बदल गया है
उम्मीद और
नाउम्मीद के बीच
जो कुछ भी था
धंस गया
संशय के दलदल में
विष्वास की
नन्हीं गौरया को
लील गया कुछ ३
अपरिवर्तित है दिनचर्या
फिर भी
सब कुछ बदल गया है