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परेशान सड़क / अंजनी कुमार शर्मा

सड़को छै परेशान ।
घरे घोॅर
पहुँचावै छै जे मेहमान
कलियुग में बेचारा
सड़को छै परेशान ।
कोय लारै छै
एकरोॅ छाती पर धान
बढ़ावै छै कत्तेॅ
एकरै काटी आपनोॅ मकान
कोय बनैनें छै एकरा
गैया-बरदा के बथान ।
सड़कोॅ पेॅ ही बनै छै
लागोॅ के कूड़ादान
कत्तेॅ करै छै खटिया-चैकी
लगाय केॅ सड़कोॅ पेॅ आराम
सड़कोॅ पेॅ देखै छै
लोगें दुर्गा-काली के भसान
सड़के पेॅ गूंजै छै
मस्जिदो के अजान
तनिको नै मिलै छै
ई युग में सड़कोॅ केॅ विराम
कलियुगोॅ में बेचारा
सड़को छै परेशान ।