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पर्दा / यानिस रित्सोस / विनोद दास

बुज़ुर्ग आदमी कुर्सी पर बैठे हुए हैं
और बुज़ुर्ग औरत खिड़की पर
बुज़ुर्ग औरत के झुके कन्धे से आप बाहर आँगन देख सकते हैं
वहाँ एक दरख़्त है जिसमें शायद बौर आ चुके हैं । दरवाज़े से परे
घर का अन्दरूनी हिस्सा अपने गुलदानों, अपने ग़ुमशुदा छूरी-काँटों
अपनी पुरानी तस्वीरों से दग़ा दे रहा है
दग़ा दे रहा है फ़र्श पर पड़ा हुआ वह बड़ा पर्दा भी
जिसे पिछली गर्मियों में उन्होंने सिलने के लिए सोचा था
ताकि भीतर रोशनी कम आए और फ़र्नीचर का बेमेलपन कम हो सके
लेकिन जब उनकी रोशनी ख़ुद ही कम हो गई
तो उसे पूरा सिलना, उसमें छल्ले डालना और उसे टाँगना
ज़रूरी नहीं रह गया
वह वहीं पड़ा रहा । बेजान, लम्बी चादर से ढँका
दीवार की तरफ़ मुड़ी लकड़ी की सीढ़ियों तले ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास