कल मैं बीज था
फिर मैंने मिट्टी का साथ पाया
मुझसे अंकुर फूटा
बारिश ने
अपना आशीर्वाद बरसाया
मैं पौधा बन गया
फिर मुझे
धूप ने खाना दिया
मैं पेड़ हो गया
अब उनके एक हाथ में आरी है
दूसरे हाथ में मेरा बदन..
कल मैं बीज था
फिर मैंने मिट्टी का साथ पाया
मुझसे अंकुर फूटा
बारिश ने
अपना आशीर्वाद बरसाया
मैं पौधा बन गया
फिर मुझे
धूप ने खाना दिया
मैं पेड़ हो गया
अब उनके एक हाथ में आरी है
दूसरे हाथ में मेरा बदन..