पहाड़ हँसते हैं
जब किसी आवारा बादल का
मासूम बच्चा
मेरी खिड़कियों के शीशे पर
दस्तक देता है ।
और पहाड़ रोते भी हैं
जब मैं देवदारु वन को देखते-देखते
तुम्हारे नाम की नज़्म लिखना
अक्सर भूल जाता हूँ ।
पहाड़ हँसते हैं
जब किसी आवारा बादल का
मासूम बच्चा
मेरी खिड़कियों के शीशे पर
दस्तक देता है ।
और पहाड़ रोते भी हैं
जब मैं देवदारु वन को देखते-देखते
तुम्हारे नाम की नज़्म लिखना
अक्सर भूल जाता हूँ ।