न तर्क न प्रमाण
तुम्हारी आभा में
तो जो है, सभी कुछ
टिका है, प्रतीक्षा के अधर में ...
जब टूटता है मौन तनी प्रत्यंचा-सा
हनाहन बाण लगते हैं हृदय पर
शब्द चुप हैं, अभी तो
बहुत गहरी नींद से तुम जागने को हो
तुम्हारी पलक काँपी है अभी तो.....
न तर्क न प्रमाण
तुम्हारी आभा में
तो जो है, सभी कुछ
टिका है, प्रतीक्षा के अधर में ...
जब टूटता है मौन तनी प्रत्यंचा-सा
हनाहन बाण लगते हैं हृदय पर
शब्द चुप हैं, अभी तो
बहुत गहरी नींद से तुम जागने को हो
तुम्हारी पलक काँपी है अभी तो.....