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पल भर के सम्वेदन / विजया सती

1.

हर साल

नए ढंग से आता है हर मौसम

मन भी क्या

कोई मौसम है ?


2.


एक सुबह

उस दिन हुई थी

और एक आज है!

मुझे नहीं मालूम

दोनों के फ़र्क का

मन से क्या रिश्ता है ?


3.


मैंने सहजता में ज़िंदगी को पाया

तुमने मुझ में क्या पाया ?


4.


सोए हुए को जगाना चाहिए-

मैंने कहा

और जागा था सागर अगाध एक उस दिन

आश्चर्य कि वह

खारा भी नहीं था!


5.


सुबह-शाम चहका करती थी-

बुलबुल

वह हो गई ग़ुम

एक झौंके में तपती दोपहर में

बदली हूँ मैं!