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पवन की लय को / नंदकिशोर आचार्य

  
पत्तियाँ हरी थीं जो
हो चलीं कत्थई
पेड़ को
मृत्यु में अपनी
रँग देती हुई

झरेंगी भी तो लहराती
उजागर करतीं
अपने झरने में भी
पवन की लय को ।

31 दिसम्बर 2009