मैं गफलत में रहा
तुम लगा-लगा कर मुखौटे
रचते रहे
नित नए स्वांग ।
दूर रख कर सच से
सिद्ध किए तुमने स्वार्थ
और आज मैं
पहचानते हुए भी तुम्हें
तुम्हारे मुखौटे उतारने की बजाय
स्वयं मुखौटा लगाने की सोचता हूं ।
अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा
मैं गफलत में रहा
तुम लगा-लगा कर मुखौटे
रचते रहे
नित नए स्वांग ।
दूर रख कर सच से
सिद्ध किए तुमने स्वार्थ
और आज मैं
पहचानते हुए भी तुम्हें
तुम्हारे मुखौटे उतारने की बजाय
स्वयं मुखौटा लगाने की सोचता हूं ।
अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा