मैं,
छोड़ आया था ‘माँ’
पर छूटी नहीं, तुम
जहाज-भर साथ रही
मैंने,
पहचाना नहीं-
सूरीनाम नदी तट पर
देश में
तुम मेरे साथ हो
अपनी परछाई में
तुम्हें ही देखता हू ‘माँ’
मैं,
छोड़ आया था ‘माँ’
पर छूटी नहीं, तुम
जहाज-भर साथ रही
मैंने,
पहचाना नहीं-
सूरीनाम नदी तट पर
देश में
तुम मेरे साथ हो
अपनी परछाई में
तुम्हें ही देखता हू ‘माँ’