दादी-माय सोचै बेटी बहू के सम्मान की छै।
दिन रात फैशन पीछू ओछो परिधान ई की छै।
घूमै लाज-शरम छोड़ी रिश्ता के कुछ ध्याने नैै।
साजन तेॅ साजन छेकै ई बाधा बिधान की छै।
रोजे दौड़ै नया-नया चाह किंछा में नया जमाना।
साजन के हालत नै बुझै,गियान के दस्तूर ई की छै।
‘रामायण’, ‘गीता’ सब धूल में सनलोॅ बिलखै,
टी. वी. सीरियल के कहानी गुणगान ई की छै।