धूप की पहली किरण
ग्रीष्म की मलय पवन
वर्षा की रिमझिम फ़ुहार
वीणा के उर की झंकार
कोकिल की मधुर कूक
विजय-वीणा के उर की हूक
मेरे चमन की कोमल कली
जीवनदीप की ‘वर्तिका’ उजली
लगता है तुम कहीं नहीं
हो मेरे पास यहीं कहीं।
धूप की पहली किरण
ग्रीष्म की मलय पवन
वर्षा की रिमझिम फ़ुहार
वीणा के उर की झंकार
कोकिल की मधुर कूक
विजय-वीणा के उर की हूक
मेरे चमन की कोमल कली
जीवनदीप की ‘वर्तिका’ उजली
लगता है तुम कहीं नहीं
हो मेरे पास यहीं कहीं।