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पहली ही तितली / अनिरुद्ध नीरव

पहली ही तितली
हत्यारे फूल पर मिली

कैसे होगा
वसन्त का
     अब संकीर्तन
हरे-हरे
आश्वासन
     पीले परिवर्तन

पुरवा का झोंका
चिड़िये की झोंपड़ी हिली

पेड़ से प्रकाशित
कुछ
     हरे समाचार हैं
नीचे
सूखे पत्ते
     बासी अख़बार हैं

भौरे को मुँह में
दाब रही एक छिपकली

प्यास नदी
बह निकली
     बालू पर वक़्त के
कंठ तरल करने को
उठ आए
टेसू कण
     अपने ही रक्त के

साए में आकर
बैठ गई धूप मुँहजली ।