हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पहले आवै री माता जुलजुली
पाछे हलहल ताप
सच्ची सेढ़ मसाणिया
हाड़ खिणै खिणै माता निकले
मोती की हुणियार
सच्ची सेढ़ मसाणिया
मेर करेगी री माता आपणी
पाल्ले जूं झड़ जाय
सच्ची सेढ़ मसाणिया
तन्नै ध्यावै री माता दो जगे
एक पुरुस दूजी नार
सच्ची सेढ़ मसाणिया
पुरस करेगा री माता बिनती
वा धण लागै तेरे पांय
सच्ची सेढ़ मसाणिया