हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पहल सारदा तोहे मनाऊं तेरी पोथी अधक सुनाऊं
मोरधज से राजा भारी लड़का लिया बला
सीस धर भरी करौती भगत ने हेला दे बलवाया
धर रे दीनानाथ पार तेरा ना किसी ने पाया
धानू बोया खेत बीज नै आप्पै चाब्बा
लोग करै गिल्लान ऊपरा तोता भया
अरे भगत ने बिना बीज निपजाया
धर रे दीनानाथ पार तेरा ना किसी ने पाया
दीना अवा लगा आंच अवा में डारी
मंझारी के बच्चे चण दिये चार कूंट का करै कुम्हारी
कुल कै लाग्या दाग आप उतरे गिरधारी
अरे भगत ने बच्चा का सो बरतन कच्चा पाया
धर रे दीनानाथ पार तेरा ना किसी ने पाया
ताता खंभ कर्या तेरा कित ग्या भाई
देख खंभ की राह खड्या तुरग बहराई
अरे खम्भ पै कोड़ी नाल दरसाया
धर रे दीनानाथ पार तेरा ना किसी ने पाया