पहाड़ियों पर बन गए
ईंट-सीमेंट के मकान !
बिछ गए बहुत से अजनबी तार !
चमकती है कहीं-कहीं
पहाड़ियाँ रात में !
हम सराहते हैं यह दृश्य भी ।
पर ठीक उसी वक़्त
कहाँ से आती है एक कराह
भी ?
पहाड़ियों पर बन गए
ईंट-सीमेंट के मकान !
बिछ गए बहुत से अजनबी तार !
चमकती है कहीं-कहीं
पहाड़ियाँ रात में !
हम सराहते हैं यह दृश्य भी ।
पर ठीक उसी वक़्त
कहाँ से आती है एक कराह
भी ?