पहाड़ी यात्रा / अज्ञेय

मेरे घोड़े की टाप
चौखटा जड़ती जाती है
आगे की नदी-व्योम, घाटी-पर्वत के आस-पास :
मैं एक चित्र में
लिखा गया-सा आगे बढ़ता जाता हूँ ।

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