कोई कहता है या नहीं कहता,
पर तुम सब जानते हो ।
फिर भी है कहीं पहाड़
छोटी बात, बड़ी बात,
छोटे दुःख, बड़ी वेदना
सब कुछ पीछे छोड़कर
बड़ा-सा है एक हंसी का पहाड़ ।
एक दिन
उसी पहाड़ पर घर बनाऊँगी
तुम्हारे ही संग ।
लोग कुछ भी कहें,
न कहें,
वह तुम जानो ।
मूल बाँगला से मीता दास द्वारा अनूदित