यहाँ झोपड़ हैं
पहाड़ के तल में
मैं हूँ विरल
अकेले पल में
पेड़ मंच के मूक पात्र हैं
नभ का तना चंदोवा
सब का सहभागी है
ट्रेन रूकी है
बने-अधबने घर कहते हैं
‘यहाँ अकेले मकें ठहरोगे?’
यहाँ झोपड़ हैं
पहाड़ के तल में
मैं हूँ विरल
अकेले पल में
पेड़ मंच के मूक पात्र हैं
नभ का तना चंदोवा
सब का सहभागी है
ट्रेन रूकी है
बने-अधबने घर कहते हैं
‘यहाँ अकेले मकें ठहरोगे?’