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पहिल परन सिया ठानल, सेहो, बिधि पूरा कैलन हे / अंगिका लोकगीत

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

इस गीत में सीताजी द्वारा किये गये प्रण के पूर्ण करने का उल्लेख है। अयोध्या में ससुराल, जनकपुर में नैहर, कौशल्या जैसी सास, दशरथ जैसा ससुर, राम जैसा पति, लक्ष्मण देवर, लव और कुश के समान पुत्र तथा वीर हनुमान के समान सेवक पाने का प्रण सीताजी का था, जिसे ब्रह्मा ने पूरा कर दिया।

पहिल परन<ref>प्रण; प्रतिज्ञा</ref> सिया ठानल, सेहो, बिधि पूरा कैलन हे।
ललना रे, जनकपुर सन<ref>सदृश, समान</ref> भेल नैहर, अजोधेआ सासुर हे॥1॥
दोसर परन सिया ठानल, सेहो बिधि पूरा कैलन हे।
ललना रे, पैलन कोसिलेआ सन सासु, ससुर राजा दसरथ हे॥2॥
तेसर परन सिया कैलन सेहो बिधि पूरा कैलन हे।
ललना रे, पाओल राम सन सामी लखन सन देवर हे॥3॥
चारिम<ref>चौथा</ref> परन सिया ठानल, सेहो बिधि पूरा कैलन हे।
ललना रे, पाओल लवहर कुसहर<ref>लव-कुश</ref> पूत, सेवक बीर हलुमंत हे॥4॥

शब्दार्थ
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