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पहेली / महेन्द्र भटनागर

क्या कहा ?
तन
रहने योग्य नहीं रहा;

इसलिए ...
आत्मन !
तुम चले गये।

नये की चाह में
किसी राह में;

कहाँ ?
लेकिन कहाँ ??

अज्ञात है,
सब अज्ञात है !
घुप अँधेरी रात है,
रहस्यपूर्ण
हर बात है !

प्रश्न किसका है ?
उत्तर किसका है ?