हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पाणी पिला दे भरतार
तिसाई मर गी खेत मैं
कोड्डी तो हो के पी ले नार
पाणी तो भर रह्या लेट मैं
क्यूं कर पिऊं भरतार
छोरट ते मेरे पेट में
न्यूं तो बता दे मेरी नार
किस ने तौं घाली खेत मैं
बड़िये जिठाणी चकचाल
जेठै ने घाली खेत मैं