Last modified on 8 अप्रैल 2012, at 01:03

पानी की बस्ती / प्रभात

सूखे तालाब में खड़ी थी ग्रीष्म की वनस्पति
आक कटैड़ी
फैला था कूड़ा-कर्कट
अब सब तैर रहा है पानी पर बरसात के बाद
मेंढक, साँप, केकड़े और मछलियाँ
एक घर की प्रतीक्षा में
रह रहे थे धरती पर इधर-उधर ओनों-कोनों में
जलमुर्गियाँ और बत्तखें जीवन काट रही थीं
जाने किन राहत शिविरों में
अब सबको अपने घर मिल गए हैं
सुनो तो कैसा कलरव है धरती पर पानी की बस्ती में