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पानी के गीत / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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युवती थी काँख में
सूनी गागर लिए
आती है दूर निज
उर को केन्द्रित किए
पानी के पास आ,
गगरी जल में डुबा
जल का कल शब्द सुन
तन-मन की सुध भुला
उठती क्यों गुनगुना ?