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पानी के मेले / श्रवण कुमार सेठ

बादल आए
छम-छम नाचे
टप-टप गाए

बूंद-बूंद कर
पेड़ के पत्तों
और हवा के
मैल छुड़ाए

नदी ताल सब
छप-छप खेले
पानी के ही
लगे थे मेले।