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पापा आते / जियाउर रहमान जाफरी

जब दफ़्तर से पापा आते
कितनी सारी चीज़ें लाते

कभी वो लाते काजू बर्फ़ी
कभी वो लेकर आयें कुल्फी

देते लाकर मुझको पेड़ा
सेब मुसम्मी अमरुद केला

घूमने मुझको वो ले जायें
कार भी देखो खुद से चलायें

जहां पे चाहें हम रुक जाते
खींचते फोटो ख़ुशी मनाते

पापा हैं तो मस्ती होती
चीज़ें सारी अच्छी होती

पर मुश्किल वो कम ही आते
कब दफ्तर से छुट्टी पाते