वह शोर और दर्द जो उठ रहा था
उनसे नहीं उनके बिछड़ जाने से उठ रहा था
कितनी सूनी और कितनी अधूरी थी इस बिछुड़न में
तुम्हारी चाल
बेताल
वह शोर और दर्द जो उठ रहा था
उनसे नहीं उनके बिछड़ जाने से उठ रहा था
कितनी सूनी और कितनी अधूरी थी इस बिछुड़न में
तुम्हारी चाल
बेताल