पार्क में अकेला खड़ा लोहे की तारों का बना एक ख़ाली
हाथी है। बस चार पत्ते हैं उसकी देह पर जो उसके पाँव
के रस्ते ऊपर चढ़ रहे हैं। यही एक दृश्य है जो मेरे अजन्मे
शिशुओं की तरह मेरे पीछे-पीछे घूमता है। मेरी हर बात
में उस पर चढ़ते चार पत्ते हिला करते हैं। अलावा इसके,
उसकी ख़ाली देह से तार-तार हुआ बेहद नीला आसमान
है। बस यही आसमान मुझे आसमान लगता है, और तो
बिलकुल भी नहीं। जो परिन्दे इस आसमान की तारों के
भीतर उड़ पाते हैं, वही परिन्दे लगते हैं, और तो बिलकुल
भी नहीं।