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पासवर्ड / विवेक निराला

मेरे पिता के पिता के पिता के पास
कोई सम्पत्ति नहीं थी ।
मेरे पिता के पिता को अपने पिता का
वारिस अपने को सिद्ध करने के लिए भी
मुक़द्दमा लड़ना पड़ा था ।

मेरे पिता के पिता के पास
एक हारमोनियम था
जिसके स्वर उसकी निजी सम्पत्ति थे।
मेरे पिता के पास उनकी निजी नौकरी थी
उस नौकरी के निजी सुख-दुख थे ।

मेरी भी निजता अनन्त
अपने निर्णयों के साथ ।
इस पूरी निजी परम्परा में मैंने
सामाजिकता का एक लम्बा पासवर्ड डाल रखा है ।