Last modified on 24 अप्रैल 2017, at 11:37

पिंजरे की पहेली / कुमार कृष्ण

उसे आता है काग़ज़ को
ख़ूबसूरत पन्ने में बदलना
उसे आता है-
पुराने कोट में सपनों को छुपाना
उसे आती हैं कई तरह की भाषाएँ
उसने सीख लिए हैं कई तरह के राग
वह नहीं जानता-
कैसे चिड़िया लाती है अपने मुँह में छुपाकर
अपने बच्चों के लिए पूरा खेत
कैसे पहुँचाती है नदी घोंसलों तक
वह जीवन भर तलाशता रहा वह स्कूल
जहाँ सीखा था चिड़िया ने घर बनाना
उसने गुज़ार दिया पूरा एक जीवन
नहीं सीख सका फिर भी
चिड़ियों की तरह प्यार करना
चिड़ियों की चोंच जानती है-
प्यार की, वार की भाषा
नहीं जानती वह व्यापार की भाषा
अपने पंखों के भरोसे
जान लेती हैं चिड़ियाँ
पूरी दुनिया का सच
बिना किसी मशीन के जान जाती हैं-
धरती के अमंगल की ख़बर
नहीं समझ पाई वह आज तक-
बहेलिये के पिंजरे की पहेली।