सखियाँ मेरी
खुले समन्दर बीच खड़ी हैं
और मैं सबसे दूर अलग साहिल पर बैठी
आती-जाती लहरों को गिनती हूँ
या फिर
गीली रेत पे तेरा नाम लिखे जाती हूँ
सखियाँ मेरी
खुले समन्दर बीच खड़ी हैं
और मैं सबसे दूर अलग साहिल पर बैठी
आती-जाती लहरों को गिनती हूँ
या फिर
गीली रेत पे तेरा नाम लिखे जाती हूँ