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ज़्यादा नहीं यहाँ से नौ किलोमीटर दूर
खलिहान और घर जल रहे हैं
खेत की मेड़ पर बैठे हुए डेरे और गूंगे ग़रीब
तमाखू पी रहे हैं
भेड़ चराने वाली एक छोटी लड़की झील में उतारकर
पानी को थरथराती है
और थरथराती हुई भेड़ें पानी में इकठ्ठा होती हुईं
झुककर बादलों से पानी पीती हैं।
रचनाकाल : 06 अक्तूबर 1944
अंग्रेज़ी से अनुवाद : विष्णु खरे