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पिचहत्तर / प्रमोद कुमार शर्मा

टाबरी किण विध पाळसी मां
गा तो व्हीर हुयगी भाखा री विदेस
खड़ी है फारम हाऊसां मांय
-करै ऐश।
भूल-भालगी बा मांड वाळो देस
जठै अजै भी सबद कळपै है
पण कुण बीं नैं हळफै है
अबकै भाखा रै अंधारै ऊभी
घणी साळसी मां!