बाहर है हवा
जिसमें तैरते हैं-- पत्ते
अन्दर है विआ<ref>बर्तन</ref>
जिस में है
शोर
शबनम के तक़ातुर<ref>बूंद-बूंद टपकना</ref> का
शब्दार्थ
<references/>