झरते-झरते
पिछले वसन्त के फूल
डालियों पर उमगाते गये
फलों के नाना-विध आश्वासन :
कहाँ, कहाँ, पर चली गयीं
पिछले जाड़ों की हिम-पंखड़ियाँ?
झरते-झरते
पिछले वसन्त के फूल
डालियों पर उमगाते गये
फलों के नाना-विध आश्वासन :
कहाँ, कहाँ, पर चली गयीं
पिछले जाड़ों की हिम-पंखड़ियाँ?