पिज्जा के मैं पेड़ लगाऊँ,
बर्गर के भी बाग़ उगाऊँ,
मिलें बीज अच्छे-अच्छे तो,
क्यारी में नूडल्स बोआऊँ।
चॉकलेट का घर बनवाऊँ,
च्युंगम की दीवार उठाऊँ,
चिप्स कुरकुरे चाऊमिन से,
परदे नक्कासी करवाऊँ।
बिस्कुट के मैं टाइल्स लगाऊँ,
कालीनों पर ब्रेड बिछाऊँ,
गुलदस्ते वाले गमलों में,
रंग-बिरंगी केक सजाऊँ।
छोटा भीम कभी बन जाऊँ,
बाल गणेशा बन इतराऊँ,
तारक मेहता के चश्मे को,
उल्टे से सीधे करवाऊँ।
पर मम्मी-पापा के कारण,
जो सोचा वह कर ना पाऊँ,
नहीं मानते बात हमारी,
उनको अब कैसे समझाऊँ।