पिता (चार)
पिता !
मेरी विवशता देखो
मेरे अभियान के रास्तों का पता तुम हो
उन पर क़दम-क़दम बढ़ते पैरों का
हौसला तुम हो
और मेरी अभीष्ट भी
तुम ही हो.
पिता (चार)
पिता !
मेरी विवशता देखो
मेरे अभियान के रास्तों का पता तुम हो
उन पर क़दम-क़दम बढ़ते पैरों का
हौसला तुम हो
और मेरी अभीष्ट भी
तुम ही हो.