जून की गर्म दोपहर में
बरगद की छाँव पिता है
शीतलहरी की रातों मे
जलता सा अलाव पिता है
भवसागर की तूफ़ानों में
प्राण रक्षक नाव पिता है
जीवन संकट की बेला में
महादेव का पाँव पिता है
मतलबी निष्ठूर जहाँ में
बसा-बसाया गाँव पिता है
जून की गर्म दोपहर में
बरगद की छाँव पिता है
शीतलहरी की रातों मे
जलता सा अलाव पिता है
भवसागर की तूफ़ानों में
प्राण रक्षक नाव पिता है
जीवन संकट की बेला में
महादेव का पाँव पिता है
मतलबी निष्ठूर जहाँ में
बसा-बसाया गाँव पिता है