यह जगत् कितना छोटा था
और कितना बड़ा भी
मेरे लिए
जब आप थे पापा !
अब यह
फिर उतना ही है
न छोटा न बड़ा
अपनी आपाधापी में
चीज़ें धकेलता हुआ --
आप नहीं हैं पापा
और मुझे
सबकी कुहनियाँ लग रही हैं ।
यह जगत् कितना छोटा था
और कितना बड़ा भी
मेरे लिए
जब आप थे पापा !
अब यह
फिर उतना ही है
न छोटा न बड़ा
अपनी आपाधापी में
चीज़ें धकेलता हुआ --
आप नहीं हैं पापा
और मुझे
सबकी कुहनियाँ लग रही हैं ।