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पिता और सूर्य-5 / अमृता भारती

मैं नहीं हूँ
अन्तिम दर्शन की पंक्ति में --

बस एक लाल गुलाब
माँ के आशीष की तरह बड़ा

एक छोटी लड़की
नन्ही-सी प्रार्थना-सी ।