पिया जेठोॅ के ताव
उमसोॅ सें भरलोॅ छै बॉव।
देहोॅ सें चूवै छरछर घाम पसीना
मुश्किल छै आदमी के जीना,
छाया भी खोजै छै छाया
ग्रीष्म ताप सें कांपै सीना।
मिलै न छै काहीं ठॉव।
चिड़िया चुनमुन छाया में बैठलोॅ
बगरोॅ फुदकै मैना चिचियैलोॅ,
झुंड कबूतर के भी छै सुस्तैलोॅ
बच्चा बुतरू खोता में घुसियैलोॅ।
ठारी छाया कौआ के कॉव।
तोरा आस में बैठलोॅ छी हम्में
गाछी तर झूला झूलौं हम्में,
असकल्लोॅ मन के समझाबै छी
केना के तोरा भूलौं हम्में।
अंतोॅ में खेली गेल्हे दॉव,
पिया जेठोॅ के ताव।