मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पिया परदेश गेलै, सभ सुख लय गेलै
रोपि गेलै अमुआं के गाछ रे की
फरीय - पकीय अमुआं, अधरस चुबि गेलै
कोना हम रखबै जोगाय रे की
नामी-नामी केशिया मोर, जीव के जंजाल भेलै
अधिक सुरति जीब-काल रे की
एक मोन होइए, जामीन धसि मरितहुँ
नञि तऽ जहर - बिख खइतहुँ रे की
के मोर एहि जग मे हीत-धन होयत
पिया भेल डुमरी के फूल रे की